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विधा/विषय "महँगाई"
महँगाई - कविता - कर्मवीर सिरोवा
गुरुवार, अप्रैल 08, 2021
गैस सिलेंडर महँगा क्या हुआ, बस्ती का हर चूल्हा अब सुर्ख़-ओ-राख़ हुआ। माँओं ने बड़ी कुशलता से सीख लिया था गैस चूल्हा चलाना, गैस सिलेंडर क…
दिनों का फेर - कविता - भरत कोराणा
मंगलवार, जून 09, 2020
मै गरीब था जनाब कोसों तक राह पर तलवे फोड़ते गाँव आया यह दिनों का फेर था। हम बैठें है चिड़ियाघर के उदास हाथी की तरह जिसे बाँ…