संदेश
विधा/विषय "सफ़र"
हमसफ़र के बिना - कविता - रमाकांत सोनी
बुधवार, दिसंबर 09, 2020
तुम बिन रहना भी भला क्या रहना, सफ़र कटता नहीं हमसफ़र के बिना। खिलकर गुलशन हमारा गुलज़ार हो गया, दिल के जुड़ गए थे तार और प्यार हो …
संग-ओ-खार आऐगें सफ़र में - ग़ज़ल - लाल चंद जैदिया "जैदि"
शनिवार, नवंबर 28, 2020
हादसे होकर हम से अकसर गुजरते रहे, नज़र मे ओरों की हम बेशक बिखरते रहे।। सोचते रहे वो, कि हम टूट के बिखर जाऐगे, हौंसलो से हम मगर फिर भी न…
सफ़र के - ग़ज़ल - ममता शर्मा "अंचल"
बुधवार, सितंबर 30, 2020
खुद से मिलने की जिद कर के बैठी हूँ नज़दीक भँवर के आज सुकूँ से क़दम बढ़ रहे खिलता है दिल, रोज़ निखर के दोपहरी भी ठंडी लगती खुश है दिल में, …
जीवन के सफर में - कविता - मधुस्मिता सेनापति
शुक्रवार, जुलाई 03, 2020
जब हम चलना शुरू करते हैं, तो दिक्कतें आती रहती है, अगर हम चलना जारी रखें, तो धीरे धीरे मंज़िल नजर आने लगती है... अगर हम र…