संदेश
गर्मी की छुट्टियाँ - संस्मरण - मंजिरी "निधि"
आज विद्यालय में वार्षिक परिणाम लेने जाना था। हरे गुलाबी रंग के गत्ते पर परिणाम मिलते थे। वह परिणाम क्या है क्या नहीं कोइ मतलब नहीं हुआ…
धब्बे - संस्मरण - ममता शर्मा "अंचल"
मेरी दैवीय (मोटी सी) दैहिक संरचना को देख-देख कर कब मेरी बहन ने मुझे 'गोलू' और गोलू से 'गुल्लड़' की उपाधि से विभूषित कर …
सौन्दर्यस्थली कालाकाँकर - संस्मरण - विमल कुमार "प्रभाकर"
प्राकृतिक सौन्दर्य की सुरम्यस्थली कालाकाँकर में मैंनें अपने जीवन के सुखद दो वर्ष बिताएँ हैं। मैं बी.एच.यू से कालाकाँकर जब जा रहा था, त…
वैष्णो माता की यात्रा - संस्मरण - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
सनः १९८७ ई. की बात है। मैं उस समय दिल्ली विश्व विद्यालय से पी. ऐच. डी. कर रहा था। शोध कार्य के क्रम में शिक्षण भ्रमण अवकाश के निमित्त …
कसौटियार: बहुआयामी व्यक्तित्व - संस्मरण - पारो शैवलिनी
चितरंजन के हिन्दी नाटक जगत में एक बहुआयामी व्यक्तित्व के रूप में स्वयं को स्थापित करने में सफल रहे व्यक्ति के रुप में मैं जिस कलाकार स…
पहली मुहब्बत - संस्मरण - संजय राजभर "समित"
सन दो हजार बारह में मैं सेलम (तमिलनाडु) में था। घर से बड़े भाई का फोन आया "तेरी शादी की लगन तय हो गई है। माँ तेरी शादी के लिए बहु…
अरमान जो पुरे न हुये - संस्मरण - कुन्दन पाटिल
एक अच्छे उदेश्य से शुरू किया कार्य कैसे बिच मे ही दम तोड देता है। यही समझाना शायद इस संस्मरण का उदेश्य है। हम कुछ सहकर्मी मित्रों द्वा…