आदिशक्ति के नौ रूप - गीत - सिद्धार्थ गोरखपुरी

आदिशक्ति के नौ रूपों का, इस नवरात्रि में स्वागत है।
माँ दुर्गा की पूजा को आतुर, सारा जहाँ और भारत है।
नारी शक्ति को संबल देकर माँ ने माँ होना सिखलाया।
इसीलिए हर काम के ख़ातिर, माँ को मिला महारथ है।
आओ हम सभी मिलकर दुर्गा माता का ध्यान करें।
आदिशक्ति जगतजननी हम भक्तों का कल्यान करें।
माँ के प्रति सच्ची आस्था हो, फिर तो दुःख नदारत है।
आदिशक्ति के नौ रूपों का, इस नवरात्रि में स्वागत है।
प्रथम दिवस माँ शैलपुत्री का, स्वागत और सत्कार करेंगे।
और सकल देवियों की, हम विनती बारम्बार करेंगे।
गुड़हल के लाल पुष्प से, माँ दुर्गा का आव भगत है।
आदिशक्ति के नौ रूपों का, इस नवरात्रि में स्वागत है।
नारियल चुनरी का सप्रेम चढ़ावा, माँ को ज्ञापित करना है।
माँ दुर्गा के नौ रूपों को, मनमंदिर में स्थापित करना है।
माँ आदिशक्ति कल्याणी हों, बस इतनी सी चाहत है।
आदिशक्ति के नौ रूपों का, इस नवरात्रि में स्वागत है।

सिद्धार्थ गोरखपुरी - गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)

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