संदेश
बसंत - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
ऋतुराज बसंत जब आता है, संग माँ सरस्वती को लाता है। माघ मास शुक्ल पक्ष को, बसंत पंचमी भी साथ लाता है। माँ धवलधारिणी, माँ ज्ञानदायिनी, म…
देखो वसंत आया है - कविता - ब्रजेश कुमार
वन-उपवन में फूल खिले, सुगंध लगे बिखराने। मकरंद की चाह लिए, मधुकर लगे मँडराने। भौंरों की मधुर गुंजन ने, सबका मन हर्षाया है, देखो वसंत आ…
बसंत - कविता - शुचि गुप्ता
मेरे जीवन पतझड़ के बस, तुम ही हृदय बसंत थे, अन्तस तल उमगित भावों के, पर्शित वृहद दिगंत थे। प्रस्तर से जड़ स्वप्न नयन में, तुमने डाले प…
ऋतु बसंत आई - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता'
छाई चहुँओर ख़ुशहाली, देखों ऋतु बसंत आई। भौंरों ने नव धुन गुनगुनाई, बाग-बगिचों में फैली हरियाली। प्रकृति का मनमोहक नज़ारा, हर प्राणी को उ…
वसंत - कविता - पशुपतिनाथ प्रसाद
पतझड़ का अब हो रहा अंत, अब छटा बिखेर है रहा वसंत। जो नंगे थे सब पेड़ सब्ज़ हरियाली पाए, कोयल ने खोले होंठ भ्रमण के जी ललचाए। मदमस्त दि…
कैसे आएँ ऋतुराज - गीत - पंकज कुमार 'वसंत'
क्या बतलाएँ आज तितलियाँ किस-किस से रंजिश है? कैसे आएँ ऋतुराज जहाँ, क़दम-क़दम बंदिश है। धुँध मूँद कर व्योम वातायन, नित्य रास करती है, शीत…
बसंत - कविता - अनिल भूषण मिश्र
हे ऋतुराज प्रकृति भूषण बसंत! तुम लाए धरा पर ख़ुशियाँ अनंत। बागों में अमराई महकी, डालों पर चिड़ियाँ चहकी। सज गया है धरती का कोना-कोना, खे…