पंकज कुमार 'वसंत' - मुज़फ़्फ़रपुर (बिहार)
कैसे आएँ ऋतुराज - गीत - पंकज कुमार 'वसंत'
बुधवार, फ़रवरी 02, 2022
क्या बतलाएँ आज तितलियाँ
किस-किस से रंजिश है?
कैसे आएँ ऋतुराज जहाँ,
क़दम-क़दम बंदिश है।
धुँध मूँद कर व्योम वातायन, नित्य रास करती है,
शीत भीत निरुद्ध रवि किरणें, क्षुधा-प्यास सहती है।
विहग डाल से विलग पात पर, बरफ़ीले आघातें,
दुबकी कलियाँ द्रुम-ग्रीवा में सहे पौष सी रातें।
ओस, जोश भरने के बदले हरे होश, घासों के
माघ-निशि में उमड़ा सर्द नद फेंक रहा ज्यों फाँसें।
प्राकृतिक अनुराग घेरे में,
निमिष-निमिष फ़ासिल है,
कैसे आएँ ऋतुराज जहाँ,
क़दम-क़दम बंदिश है।
कलरव नत कोलाहल चंचल दबे सुधामय अक्षर,
हैं अनंग अवरुद्ध, ताल सुर रूद्ध अष्ठ-यामी स्वर।
तार-सप्तकों पर बजती हैं पश्चिम-राग की धुनें,
प्रियतम भूली कहीं कोकिला, पिया पपीहा भूले।
गमलों में पौधे तन-बौने, रुक्ष हृदय-मन-यौवन,
मरुवन छज्जे पर साजन घर बोल रहें है-मधुवन।
सरस प्रीत रस, विकल विहग सुर,
दोऊँ पर अंकुश है।
कैसे आएँ ऋतुराज जहाँ,
क़दम-क़दम बंदिश है।
शठी स्वार्थ में उलझा है नर, स्वप्न जीत उपवन का,
नयन मस्त औ' उदर तृप्ति की चाहत में मद रत सा।
स्वर्ण मुकुट नभ-महल हवेली, टकसालों से ख़ुशियाँ,
क्रयित हो जाती क्षण मात्र में सृजित स्वार्थ की दुनियाँ।
छींट अतर झट महक गुलाबी पिय पा जाते प्यासे,
"मदनोत्सव" न्योता नभ को अब जाए क्यों वसुधा से?
हृदगत चाहत आहत, आतिथ्य,
पर अतथ्य दबिश है।
कैसे आएँ ऋतुराज जहाँ,
क़दम-क़दम बंदिश है।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर