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विधा/विषय "धूप"
जाड़े की धूप - कविता - निशांत सक्सेना "आहान"
गुरुवार, जून 03, 2021
शिशु की मासूम मुस्कान सी जाड़े की धूप, अंबिका की अनकहे स्नेह सा जाड़े की धूप, तनु पर किसी अपने की गर्माहट सी जाड़े की धूप, एक अनकहा सु…
धूप-छाँव - गीत - डॉ. अवधेश कुमार "अवध"
मंगलवार, दिसंबर 08, 2020
कभी तुम धूप लगते हो कभी तुम छाँव लगते हो, शहर की बेरुखी में तुम तो अपना गाँव लगते हो। बताओ मैं भला कैसे कहूँ अपनों ने ठुकराया, सभी रा…
गुनगुनी धूप - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
गुरुवार, नवंबर 26, 2020
गुनगुनी धूप अब मन को भाने लगी। फिर से पीहर में गोरी लजाने लगी। अब सुहानी लगे सर्द की दुपहरी। मौसमी मयकशी है ये जादू भरी। ठंडी ठंडी हवा…
धूप - कविता - मयंक कर्दम
शुक्रवार, अक्तूबर 23, 2020
सोने जैसा रंग है मेरा, अनेक रंग में दिखलाती हूँ। सुबह शाम दौड़ती रहती, आज तुमको मैं बतलाती हूँ।। पंछी भी झूम उठते, जब मैं खिल-खिलाती…