संदेश
विधा/विषय "दिल"
दिल की आवाज़ - कविता - शेखर कुमार रंजन
गुरुवार, अगस्त 20, 2020
आज क्यों मेरा दिल, जोड़ो से धड़क रहा है क्या वो मेरे गलियों से, देखो तो गुज़र रही हैं। आज वर्षों बाद फिर मेरी, धड़कने रूकने सी ल…
गुस्ताख़ दिल - ग़ज़ल - रोहित गुस्ताख़
सोमवार, जुलाई 20, 2020
हर पल इक पागल की खातिर ख़ाब सजाये कल की खातिर जिस पल में जीनी थीं सदियां आया वो इक पल की खातिर बेच गिटार हुआ दीवाना तेरी इस पा…
नासमझ दिल - कविता - शेखर कुमार रंजन
शनिवार, जुलाई 11, 2020
ऐ मेरे दिल की धड़कन, तू इतना बेकरार क्यों?हैं कैसा है? ये दिल का दर्द कैसी है? ये एहसास तुम्हारी। लगता है कि मुझे हो गया है, ऐ …
मेरा दिल एक पागल है - ग़ज़ल - रोहित गुस्ताख़
शनिवार, जून 20, 2020
मेरा दिल एक पागल है, प्यासा शायद बादल है, नजरें देखें राह तुम्हारी, सूना आँख का काजल है, दिल में है तस्वीर तुम्हारी, …