संदेश
विधा/विषय "तारा"
सितारें - कविता - ऊर्मि शर्मा
मंगलवार, नवंबर 01, 2022
हमेशा सोचती थी मैं आसमाँ के आँचल में सितारें ही सितारें, मेरे छोटे से आँचल में इक मुट्ठी सितारें हो। तभी इक रात ख़्वाब में चाँद समझा …
सांध्य-तारा - कविता - सुरेंद्र प्रजापति
शनिवार, मई 29, 2021
सांध्य-तारा, वृन्द-उचारा, नील व्योम का अगणित सितारा, कोलाहल जग का एक सहारा, दिवस निज घर जाइए। आ रहा है, छा रहा है, कठिन श्रम को सुला र…
वह मेरे नयनों के तारे है - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
शुक्रवार, जुलाई 31, 2020
वह मेरे नयनों के तारे । जो मेरे दो लाल दुलारे । वह गुरूर हैं अपनी मां के । पापा के वह राज दुलारे । एक अगर है सूरज जैसा। दूजा…
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