संदेश
चरित्र - कविता - जितेंद्र रघुवंशी 'चाँद'
मारकर अपने चरित्र को जीना कहा उचित है, जीना है चरित्र के साथ मन उसी में हर्षित है। बदले क्यों हम किसी के लिए अपने आप को, नहीं है कर…
कौन है कृष्ण? - लेख - सिद्धार्थ 'सोहम'
भारत मान्यताओं, परंपराओं और संस्कृति को आज भी प्रासंगिक बनाने वाला राष्ट्र, लिखित रूप से 5000 साल पुरानी सभ्यता जो मात्र विश्वगुरु होन…
श्री कृष्ण जन्माष्टमी: जीवन में गुणों को धारण करने का पर्व - लेख - आर॰ सी॰ यादव
सुख-समृद्धि की कामना करते हुए दैहिक, दैविक और भौतिक बाधाओं से मुक्ति के लिए मनुष्य का धर्मपरायण होना ज़रूरी है। ईश्वर की पूजा उपासना कर…
कृष्ण होना आसान नहीं किंतु नामुमकिन भी नहीं - लेख - सुनीता भट्ट पैन्यूली
ऐसा क्यों है कि बहुत सारे लोग मुझे जान नहीं पाते हैं?श्रीमद्भगवद्गीता में श्री कृष्ण ने कहा है। ऐसा इसलिए है शायद हम अपनी भौतिकता में…
विषय, विचार और कामनाओं से मुक्ति ही स्वतंत्रता है - लेख - आर॰ सी॰ यादव
नीतिगत निर्णय लेना मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। यह एक ऐसी नैसर्गिक प्रतिभा जिसके बिना पर मनुष्य अपने गुण-अवगुण, यश-कीर्ति, हानि-लाभ और …
जीने की परिभाषा सीखो - गीत - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
यदि परिवार चलाना हो तो, जीने की परिभाषा सीखो। थोड़े दिन का यह जीवन है, आना जाना लगा हुआ है। नश्वरता बैठी अग-जग में, यह क्रम अविरल बना …
एक क़दम अध्यात्म की ओर - लेख - लक्ष्मी सिंह
'अध्यात्म' एक ऐसा वाक्य जिसे सुनने मात्र से ही शान्ति पहुँचने लगती है हमारे हृदय को, अब सोचने वाली बात ये है कि जिसे सुनने से …