संदेश
विधा/विषय "काग़ज़"
कोई काग़ज़ कैसे सब वृत्तांत कहेगा - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
रविवार, जून 23, 2024
कोई काग़ज़ कैसे सब वृत्तांत कहेगा, अन्तर के छंदों को पूरा कैसे छुएगा। एक सीमा है अभिव्यक्ति की, कागज की सीमित शक्ति की। बहुत कुछ मुख क्…
कोरे काग़ज़ और क़लम - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
गुरुवार, जनवरी 21, 2021
मैं काग़ज़ के कोरे पन्नों पर, अविरत अन्तर्मन भाव लिखती हूँ, जन ज़ज़्बातों की मालाओं को, कोरे काग़ज़ पर रव गढ़ती हू…