संदेश
रीति रिवाज बनाम भावी पीढ़ी - आलेख - बबिता कुमावत
क्या ऐसे रीति रिवाज उचित है? जो भावी पीढी की शिक्षा को प्रभावित करते हैं, क्या उन रिवाजों पर पुनर्विचार नहीं किया जाना चाहिए? जो देश क…
घरेलू हिंसा - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
गरिमामय तरीक़े से जीने के अधिकार का हनन ही घरेलू हिंसा कहलाता है। वर्तमान समय में लोगो की असहिष्णुता, बेरोज़गारी, अति स्वार्थी प्रवत्ति,…
मानसिक ग़ुलामी - आलेख - अभिषेक शुक्ल
स्वतंत्रता का मतलब केवल दासता की बेड़ियाँ तोड़ना ही नहीं अपितु जो हमारे विचार पाखंड की ज़ंजीरों से जकड़े हुए हैं, उनसे मुक्त होना भी है…
आत्मगत सौंदर्य - आलेख - कृपी जोशी
हालिया दिनों में यूपी दसवीं बोर्ड का रिजल्ट जारी किया गया था जिसमें प्राची निगम ने राज्यस्तरीय टॉपर सूची में प्रथम स्थान अंकित कर ढेरो…
यमुना - आलेख - बिंदेश कुमार झा
सदियों से यमुना और कारखानों के बीच के संबंध बिगड़ते जा रहे हैं। शायद वैश्वीकरण ने यमुना के उपकारों को भुला दिया है। यमुना को इस बात से…
हिंदी भाषा के समक्ष चुनौतियाँ - आलेख - डॉ॰ ममता मेहता
हिंदी भारत की राष्ट्र भाषा होने के साथ जनभाषा भी है। यही वह भाषा है जिसने कश्मीर से कन्याकुमारी तक संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बाँध र…
मैथलीशरण गुप्त: एक योद्धा - आलेख - डॉ॰ अर्चना मिश्रा
मैथिलीशरण गुप्त आधुनिक युग के कवि माने गए। गुप्त जी को सिर्फ़ कवि कहना ही काफ़ी नहीं होगा, ये एक युगकवि कहलाए। इनका साहित्य, साहित्य क…
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