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विधा/विषय "आरज़ू"
आरज़ू - ग़ज़ल - विनोद निराश
शनिवार, जनवरी 09, 2021
ज़िंदगी यूँ ही चलती रहे, आरज़ू यूँ ही पलती रहे। नाम तेरा ही लेकर बस, साँसें मेरी ये चलती रहे। रूठ गए जो तुम कभी, शायद कमी खलती रहे। तु…
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ज़िंदगी यूँ ही चलती रहे, आरज़ू यूँ ही पलती रहे। नाम तेरा ही लेकर बस, साँसें मेरी ये चलती रहे। रूठ गए जो तुम कभी, शायद कमी खलती रहे। तु…
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