बदनाम गलियाॅं - कविता - संजय राजभर 'समित'
रविवार, नवंबर 03, 2024
हम बदनाम हैं
ठिकाना है बदनाम गलियाॅं
क्योंकि हम ग़रीब हैं
आप बड़े लोग हैं
कुछ शब्द बना लिए हैं
"ख़ुश करो"
"डेट"
"डिनर पर चलते हैं"
"आज ऑफ़िस में काम ज़्यादा है"
पर डिमांड और आपूर्ति
हमारा और आप बड़े लोगों की एक ही है।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर