पिता आप भगवान - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

पिता आप भगवान - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | Hindi Kavita - Pita Aap Bhagwaan. Hindi Poem about Father. पिता पर हिंदी कविता
आनंदित कुल पूत पिता पा, किया समर्पित जान सदा है।
पिता त्याग सुख शान्ति ज़िंदगी, पूरण सुत अरमान लगा है।
लौकिक झंझावात सहनकर, पिता सदा चुपचाप सहा है।
धूप वृष्टि या शीत विषमता, यायावर संताप सहा है।

पूत चढ़े सोपान लक्ष्य पथ, पिता सतत अपमान सहा है।
कर्ता भर्ता जनक तनय बन, स्नेह सलिल सन्तति सींचा है।
संवाहक परिवार कुलोचित, निर्वाहक समाज पिता है।
संघर्षक नित सहा ज़िंदगी, निर्माणक सुत आज मुदित है।

पूत पिता पति रूप निर्वहण, बड़ा कठिन वह काम करा है।
करे पूर्ति धीरज रख साहस, मूक सदा निष्काम रहा है।
पूत प्रगति बस चाह हृदय नित, पाया सुख मुस्कान अधर है।
निशिवासर कर झूठ सत्य पथ, धन अर्जन अपमान सहना है।

पूर्ण हुआ सुत लक्ष्य सफलता, पितृभक्ति सुत मान कहाँ है।
सेवा श्रद्धावनत पूत हो, करे पिता सम्मान विरल है।
ममता पृथिवी समा जनक की, दृढ़ पर्वत सम हिय कठोर है।
दानवीर बलिराज भोज शिबि, महादान पितु सुत निमित्त है।

जीवन दे जिस बाप जगत में, चुका सकूँ नहि क़र्ज़ कठिन है।
पाल पोष अस्तित्व दिया जग, पितु सेवन सुत फ़र्ज़ विरत है।
पितृ दिवस पर आज ऋणी मैं, साश्रु नैन कर पिता नमन है।
करता हूँ सादर याद विनत, आशीष पिता याचक सुत है।

अर्पित है श्रद्धासुमन चरण, पिता त्याग बलिदान तनय है।
हूँ कृतज्ञ नित निकुंज पूत, पिता आप भगवान जगत हैं।
आप पूत पहचान तनय बन, कुलपौरुष अभिमान सतत हैं।
सारस्वत सम्मान वंश का, पिता आप नित शान तनय हैं।


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