साँच कहूँ सुन साथ चले सब - सवैया छंद - महेश कुमार हरियाणवी
शुक्रवार, मई 17, 2024
साँच कहूँ सुन साथ चले सब,
बात यही सब को बतलाना।
जीवन में मतभेद नहीं रख,
द्वेष कहाँ तक है टिकपाना।
बादल भी कितना ठहरे नभ,
आख़िर तो धरती पर आना।
मान भले मिल जा धन पाकर,
जीवन का सच भूल न जाना॥
सीख रहे मन आज विभाजन
भूल गए कल को अपनाना।
शायद रीत बने हल साजन,
छोड़ रहे हथियार चलाना।
कौन यहाँ पतवार बने जन,
तोड़ रहे सब हार पुराना।
खोकर भी तुम पा सकते धन,
नीयत से पर हार न जाना॥
खान नहीं वह पान नहीं अब
गान नहीं जग ध्यान नहीं है।
आन नहीं अब मान नहीं वह
ज्ञान नहीं बलवान नहीं है।
दान नहीं धनवान नहीं अब
देख बचा अहसान नहीं है।
शिक्षित तो जन ख़ूब हुआ पर
पेड़ रहा फलवान नहीं है॥
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर