अनगढ़ कविताएँ - कविता - संजय राजभर 'समित'

अनगढ़ कविताएँ - कविता - संजय राजभर 'समित' | Hindi Kavita - Anagadh Kavitaayen - Sanjay Rajbhar Samit. कविता पर कविता
जीवन भाग-दौड़ में है
अंदर कविताएँ
किसी तरह लिख भी दिया
तो व्याकरण का जाँच
रह जाता है बाक़ी
आज-कल
सुबह-शाम करते हुए
हृदय में दूसरी कविताएँ
फिर वही चक्र...
रह जाती है
तमाम
कविताएँ अनगढ़।


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