प्रेम - कविता - प्रेम ठक्कर

प्रेम - कविता - प्रेम ठक्कर | Hindi Kavita - Prem - Prem Thakkar. Hindi Poem On Love | प्रेम पर कविता
प्रेम नहीं सिमटता व्यक्ति में,
सत्य है।
प्रेम में विलीन होना निश्चित है,
सत्य है।
बीते कल की चिंताओं को भूलकर,
उस प्रेम के समंदर में गोते खाए जा रहा हूँ।
वह नहीं निभा सकते किसी कारणवश,
इसलिए एकतरफ़ा इश्क़ निभाए जा रहा हूँ।

प्रेम कोई वस्तु नहीं,
जो स्थानांतरित किया जाता है।
वह संवेदना का सार है,
जिसे दिल से महसूस किया जाता है।

उनकी एक हँसी और ख़ुशी देखने के लिए,
प्रतीक्षा की आग अपने सीने में समाए जा रहा हूँ।
मैं उनके लौट आने की राह को प्रेमरूपी पुष्पों से सजाए जा रहा हूँ।

अपने स्वार्थ को छोड़कर,
प्रेम को दिल से निभाना चाहिए।
दोनों को दूर रहकर भी एहसास बरक़रार रहें,
ऐसे कुछ लम्हों को अंतर्मन से बिताना चाहिए।

पाने की लालसा नहीं मुझ में,
मात्र उनकी ख़ुशी को अपनी आँखों से देखने के लिए,
हर कठिन पल को बड़ी प्रतीक्षा से बिताए जा रहा हूँ।
एकतरफ़ा ही सही पर,
उनकी ख़ुशी के लिए मैं यह रिश्ता दूर रहकर भी निभाएँ जा रहा हूँ।

प्रेम ठक्कर - सूरत (गुजरात)

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