आदिस्वरुपा माँ कूष्मांडा, सृष्टि धारक पालक हो माता।
रोग शोक का अंत करो माँ, सिंहवाहिनी भगवती माता॥
अष्टभुजा हे आदिशक्ति माँ, निज स्मित से विश्व रचाया।
सूर्य समान दैदीप्य जगत में, दिव्य तेज सर्वत्र समाया॥
यश आरोग्य प्रदान करो माँ, हो भक्तों के भाग्य विधाता।
आदिस्वरुपा माँ कूष्मांडा, सृष्टि धारक पालक हो माता॥
दसों दिशाएँ, ग्रह नक्षत्र सब, तुमसे ही आलोकित होता।
जड़ चेतन व जीव जगत माँ, तुझसे ही संचालित होता॥
दिग-दिगंत से अति अनंत तक, नियंत्रण तेरा है माता।
आदिस्वरुपा माँ कूष्मांडा, सृष्टि धारक पालक हो माता॥
धनुष बाण चक्र गदा कर, अमृत-कलश कमंडल माला।
भक्तों की रक्षक हो माता, दुष्ट संहारक हो तीव्र ज्वाला॥
रिद्धि सिद्धि प्रदायिनी माते, भक्तों को वांछित वर दाता।
आदिस्वरुपा माँ कूष्मांडा, सृष्टि धारक पालक हो माता॥