संस्कार - कहानी - रमेश चन्द्र यादव

संस्कार - कहानी - रमेश चन्द्र यादव | Hindi Kahani - Sanskaar - Ramesh Chandra Yadav. Hindi Story On Rites. संस्कार पर हिंदी कहानी
फ़ोन की घंटी एक बार बजकर चुप हो गई थी, तभी दोबारा से फिर घंटी बजी। फ़ोन उठाते ही उधर से अनजान आवाज़ आई "पटवारी जी बोल रहे हैं?"
"जी मैं बोल रहा हूँ। बताईए!"
नमस्ते के बाद उन्होंने बताया कि "मैं लुधियाना से बोल रहा हूँ।"
"जी बताइए!"
"पटवारी जी! मुझे आप से बात करनी है।"
मैंने कहा "जी कर लिजिए, बताइए!"
उन्होने कहा "पटवारी जी! हमारी गाँव में ज़मीन आ रही है और मुझे अपना खेत फोड़ कराना है"
मैंने समझा शायद इन्हें अपने हिस्सा प्रमाण पत्र की ज़रूरत होगी। मैंने कहा कि "आप को इसे कहाँ लगाना है?"
"पटवारी जी मुझे लगाना कहीं नहीं है।"
मैंने कहा "फिर आप इसे क्यों बनवा रहे हो?"
उन्होंने कहा "पटवारी जी! आपकी समझ में बात नहीं आ रही है।"
"जी मेरी समझ में आपकी बात नहीं आ रही, स्पष्ट बताइए, मैंने उनसे कहा।
उन्होंने जो बात मुझे बताई, वो कितनी संस्कारहीन थी, जिसमें नैतिकता मर चुकी थी। भारतीय आदर्श विलुप्त हो गए थे।
उन्होंने कहा "पटवारी जी! मैं यहाँ लुधियाना में रहता हूँ यहाँ मेरी एक फ़ैक्टरी है। अच्छा काम है। गाँव में छोटा भाई रहता है। मैंने अपनी ज़मीन उसी को ठेके पर दे रक्खी है। अब मैं सोच रहा था कि गाँव की ज़मीन बेच दूँ, छोटा भाई उसके उचित दाम नहीं दे रहा। और लोगों से बात करी गई तो वो कह रहे थे कि पहले अपनी ज़मीन अलग करो तब ख़रीद सकते हैं। इसीलिए मैंने आपको फ़ोन किया कि आप हमारा खेत फोड़ करा दो।"
अब मुझे बात समझ में आई कि भाई अपना खाता तक्सीम कराना चाहते हैं। मैंने उन्हें बताया कि "इसके लिए आपको तहसील आना होगा और माननीय न्यायालय उपजिलाधिकारी जी के यहाँ वाद दायर करना होगा। तभी आपका ये कार्य हो पाएगा।"
ये बात मामूली सी थी। मैने उन्हें बताकर अपना कर्तव्य पालन कर लिया लेकिन इस बात ने अन्तरआत्मा को झकझोर दिया। देर रात तक सोचता रहा कि जिस देश की आत्मा में राम बसते है।उस धरती पर संस्कारों का कितना अभाव हो गया है। जिसके नाम से सुबह को अभिवादन होता है, सब एक दूसरे को राम राम कहकर दिन की शुरुआत करते हैं। लोगों ने उनके आदर्शों को भुला दिया। जिस राम ने अयोध्या का वैभव इतना बड़ा साम्राज्य पिता की एक आज्ञा पर अपने छोटे भाई भरत को बिना किसी संकोच के सौंप दिया। और छोटे भाई का आदर्श कि उसने लेने से मना कर दिया और एक दो वर्ष नहीं पूरे चौदह साल तक उनकी चरण पादुका सिंहासन पर रखकर राज्य की व्यवस्था संभाली और धरती पर सोए। उस देश की सन्तान इतनी संस्कारहीन कैसे हो गई कि बड़ा भाई बाहर रहता है कारोबार अच्छा है, गाँव में रहने भी नहीं आएगा और चंद रूपयों की ख़ातिर अपनी पैतृक भूमि किसी ग़ैर को बेचकर ज़िन्दगी भर के लिए अपने छोटे भाई के लिए झगड़ा बोना चाहता है।
इसमें उसका कोई दोष नहीं, दोषी है हमारी कान्वेंट शिक्षा। जिसने भावी पीढ़ी को संस्कारहीन बना दिया। अंग्रेजी की किसी पुस्तक में राम की कथा नहीं पढाई जाती। लार्ड मैकाले अपने उद्देश्य में सफल हो गए। कहने को तो हम भारतीय है, पर अंग्रेजी में बातें करना सम्पन्नता का प्रतीक समझा जाता है। छोटे बच्चे से जब ये पूछा जाता है बताओ आपकी नोज कहा है, और बच्चा यदि नाक पर उँगली रख दें तो सब ख़ुश हो जाते हैं। अब छोटे बच्चे दादा-दादी के पास बैठकर पूर्वजों की कहानी सुनने से अच्छा टीवी पर कार्टून देखना पसंद करते हैं।
आवश्यकता है अपने संस्कारो को पुनः स्थापित करने की। पाठ्यक्रम में अपने पूर्वजों की कहानी पढ़ाए जाने की। ताकि एक संस्कारवान पीढ़ी आगे आए और इस तरह के झगड़ों में कमी आए, फिर से संयुक्त परिवार स्थापित हो। घर-घर में प्रेम की वर्षा हो। बड़ों का सम्मान हो और छोटों पर स्नेह लुटाया जाए। तभी भारत में रामराज्य की स्थापना होगी जहाँ दैहिक दैविक भौतिक किसी तरह का कोई कष्ट ना हो।

रमेश चन्द्र यादव - चान्दपुर, बिजनौर (उत्तर प्रदेश)

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