करूँ मॉं आराधना तेरी,
वंदना स्वीकार कर लेना।
निज चरणों में दे शरण,
भण्डार ज्ञान से भर देना।
इस अनभिज्ञ दुनिया में,
श्रेष्ठ संस्कार सब देकर।
अज्ञानता के सागर से,
मॉं भारती पार कर देना।
नवज्योति जला जीवन में,
तिमिर हृदय से मिटा देना।
कर ज्ञान का संचार ज्ञानदेय,
बौद्धिक विस्तार कर देना।
शुभ्र ज्योत्स्ना वीणावादिनी,
हृदय निर्मल कर पद्मासिनी।
बजा वीणा की धुन माँ शारदे,
जीवन सुर को संवार देना।
श्वेत हंस विराज वागीशा,
अमन चैन जग में भर दो।
रुपहला परिधान पहन माँ,
अज्ञानता से विश्व उद्धार दो।
तार वीणा के झंकृत हो तो,
लोक सभी अलंकृत होंगे।
वरद हस्त सिर पर रख माँ,
बेड़ा पार सबका कर दो।
महेंद्र सिंह कटारिया - नीमकाथाना (राजस्थान)