शहर की ऊँची इमारतें
ख़ून पसीना पिए
खड़ी है
इसी गाँव के ग़रीब
मज़दूर का
पल में घुड़क दिया
फुटपाथ से उसे
उखाड़ आशियाना
चार-हाथ का उसका
चादर की ओट में
वो घर बसाए
सीने में घुटनें समेटे
उसके हिस्से में क्या
फुटपाथ का
कोना भी नहीं
नकल अकल से पहले
अपनी छलनी सी
चादर के पैबंद तो
मज़बूत कर लो
ऊर्मि शर्मा - मुंबई (महाराष्ट्र)