वन्दन करें सब उस अगोचर का,
दुख में सदा रहे उस सहचर का।
सहज सुख की अभिलाषा में,
दुख प्रकट उपेक्षा की भाषा में।
कैसे दर्शन दिन में निशाचर का।
अहंकार क्रोध शत्रु सब भीतर थे,
इस वन में चहुँओर बस कीकर थे।
कब उच्च स्थान होगा मेहतर का।
हेमन्त कुमार शर्मा - कोना, नानकपुर (हरियाणा)