अभिलाषा तिरंगे की - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी

कुछ वतन नाम के कर जाओ 
की देश तिरंगा शान रहे,
तुम भी कुछ कर जाओं एेसा 
की देश तिरंगा मान रहे।

एक तिरंगा अभिलाषा है 
केसरिया श्वेत हरे रंग की,
नीला चक्र सजे हमेशा 
छाती पर वीर जवानो की।

अखण्ड देश ये बना रहे 
संप्रभुता वीर जवानो की,
खुशियाँ आँगन मे खेले 
अभिलाषा वीर जवानो की।

खड़ा रहे आतंकी कितना 
मनसूबे ले भय के पाल,
एक गर्जना काफ़ी है 
हम हैं भारत के वीर जवान।

ईर्ष्या, द्वेष, अकणर्यमयता 
आतंकी मन जब बन बैठा,
तब त्याग भाव मन मे पाल 
की देश तिरंगा शान रहे।

एक तिरंगा अभिलाषा है
भारत वीर जवानो की,
की देश तिरंगा शान रहे 
हम सब की तिरंगा जान रहे।

कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी - सहआदतगंज, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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