कुछ दर्द बयाँ हो न पाए,
ज़ुबाँ ख़ामोश पर
हम आँसुओं को रोक न पाए,
हवाएँ वही फ़िज़ाएँ वही
पर तेरे चाँद से चेहरे को
हम देख न पाए,
एक रात ख़्वाबों में
तुझसे मुलाक़ात हुई
पर ख़्वाब टूटे
और हम आँसुओं के मोतियों को
आज तक समेट न पाए।
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