माँ - कविता - संजय राजभर 'समित'

एक दिन 
मैं अपनी माँ से पूछा 
“माँ मेरे न रहने पर 
तेरी बहू कैसा व्यवहार करती है?” 
माँ चुप थी 
तब मैं सब समझ गया 
माँ यदि सच बोलेगी 
तब बहू और अत्याचार करेगी। 
मैं जब तक घर पर रहता हूँ 
वह सगी माँ की तरह 
सेवा करती थी। 

रास्ता निकलना था 
निकाला भी 
पर एक बात कहूँ 
दिल और दिमाग़ दोनों रखें 
पत्नी के आँसू 
हमेशा सही है ज़रूरी नहीं 
इसलिए 
कम से कम 
माँ के चरणों में 
कुछ वक़्त 
आत्मीयता से बैठें। 


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