लखन अधिकारी - द्वाराहाट, असगोली (उत्तराखंड)
कठिन हो जाता है - कविता - लखन अधिकारी
सोमवार, जनवरी 09, 2023
कठिन हो जाता है,
कुछ सोचना और वह हो ना पाना,
अरमानों का यूँ ही टूट जाना,
सपनों का क़ैद हो जाना,
किताबों का खुलना फिर उसी रूप से बंद होना,
घंटो सोचते रहना और कुछ हल ना निकलना,
महीनों ये सोच में निकल जाना की करना क्या,
घुट-घुट कर दिनों यूँ कट जाना और फिर अफ़सोस होना,
हर नए दिन में नए सपने बुनना और उनका ध्वस्त होना,
कठिन हो जाता है,
साथ सब होना और सब अलग लगना,
भावनाओ की गहराई में डूबना फिर निकलना,
किसी को लंबे अरसे से समझना और अचानक सब कुछ ख़त्म होना,
कठिन हो जाता है,
बेहतर तरीक़े से कार्य को करना,
असफल होना और निराशा भरना,
कठिन हो जाता है,
आशावादी विचारों की पनाह में पनपना,
और मानसिक तनाव से ग्रस्त होना,
कठिन हो जाता है,
अपनी प्रकृति को किसी के समकक्ष रखना,
फिर अचानक ख़ुद ही उस को अचानक से हटाना,
कठिन हो जाता है।
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