ओ बहना - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला

मेरे दुःखते इस जीवन का,
तुम मरहम थी बहना।
कौन तकेगा राहें मेरी?
चली गई क्यूँ बहना?

मुझे अकेली देख जगत में,
हिम्मत तूने बंधाई।
मेरे टूटे सूने दिल में,
फिर उम्मीद जगाई।

पहली टीचर सखी सहेली,
तुम हमदम थी बहना।
माँ जैसा था प्यार तुम्हारा,
कहाँ गई हो बहना?

मेरे दुःखते इस जीवन का,
तुम मरहम थी बहना।
कौन तकेगा राहें मेरी?
चली गई क्यूँ बहना?

किससे दिल का हाल कहूँ मैं?
कौन मेरी परवाह करे?
मेरे मन की तकलीफ़ों को,
ओ मेरी जिज्जी कौन हरे?

फिर से नाम पुकारो मेरा,
फ़ोन करो ओ बहना।
एक बार फिर गले लगा लो,
कहाँ छिपी हो बहना?

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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