देर कर दी आते-आते - गीत - रमाकांत सोनी 'सुदर्शन'
मंगलवार, जनवरी 17, 2023
ख़ूब कमाया धन दौलत, थक गए तुम्हें बुलाते,
प्राण पखेरू उड़ गए उनके, जन्मदाता कहलाते।
उठ गया साया सर से तेरा, कभी पुत्र धर्म निभाते,
बुढ़ापे का सहारा भी कैसा, आशीष नहीं ले पाते।
देर कर दी आते-आते, देर कर दी आते-आते॥
क़दम-क़दम पे ढाल बने, चलना तुम्हें सिखलाया,
शिक्षा दे रोशन जीवन को, क़ाबिल तुम्हें बनाया।
याद करो तुम बचपन को, घर पे वो ख़ुशियाँ लाते,
माँगी हर फ़रमाइश पूरी, जब तुम मचल से जाते।
देर कर दी आते-आते, देर कर दी आते-आते॥
उनका तो संसार तुम ही थे, दूर भला क्यों जाते,
दिल के जुड़े तार सभी थे, संबंध ज़रा निभाते।
मीठे-मीठे बोल मधुर, जब जाकर तुम बतियाते,
इस धरा पर चंद सावन, फिर देख ज़रा वो पाते।
देर कर दी आते-आते, देर कर दी आते-आते॥
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर