देर कर दी आते-आते - गीत - रमाकांत सोनी 'सुदर्शन'

ख़ूब कमाया धन दौलत, थक गए तुम्हें बुलाते,
प्राण पखेरू उड़ गए उनके, जन्मदाता कहलाते।
उठ गया साया सर से तेरा, कभी पुत्र धर्म निभाते,
बुढ़ापे का सहारा भी कैसा, आशीष नहीं ले पाते।
देर कर दी आते-आते, देर कर दी आते-आते॥

क़दम-क़दम पे ढाल बने, चलना तुम्हें सिखलाया,
शिक्षा दे रोशन जीवन को, क़ाबिल तुम्हें बनाया।
याद करो तुम बचपन को, घर पे वो ख़ुशियाँ लाते,
माँगी हर फ़रमाइश पूरी, जब तुम मचल से जाते।
देर कर दी आते-आते, देर कर दी आते-आते॥

उनका तो संसार तुम ही थे, दूर भला क्यों जाते,
दिल के जुड़े तार सभी थे, संबंध ज़रा निभाते।
मीठे-मीठे बोल मधुर, जब जाकर तुम बतियाते,
इस धरा पर चंद सावन, फिर देख ज़रा वो पाते।
देर कर दी आते-आते, देर कर दी आते-आते॥

रमाकान्त सोनी 'सुदर्शन' - झुंझुनू (राजस्थान)

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