शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)
हित-अहित - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
सोमवार, दिसंबर 05, 2022
आपसी संबंधों का तोड़ना
नहीं है आपके हित में
मित्रता तोड़ना
नहीं है आपके हित में
आना जाना बंद करना
नहीं है आपके हित में
जीवन छोटा है
क्षणभंगुर है
आज नहीं कल जाना है,
संयम बरतना–
आपके हित में है,
मिल बैठ कर कोई हल निकालना–
आपके हित में है।
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