हित-अहित - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'

आपसी संबंधों का तोड़ना 
नहीं है आपके हित में
मित्रता तोड़ना
नहीं है आपके हित में
आना जाना बंद करना
नहीं है आपके हित में
जीवन छोटा है
क्षणभंगुर है
आज नहीं कल जाना है,
संयम बरतना–
आपके हित में है,
मिल बैठ कर कोई हल निकालना–
आपके हित में है।

शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)

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