वो धूप अच्छी थी - कविता - अमृत 'शिवोहम्'

वो धूप अच्छी थी,
जिसमें किसान के पसीने से,
फ़सल लहलहा उठी।

वो धूप अच्छी थी,
जिसके ढलने पर प्रेम करता
पक्षियों का जोड़ा
शिकारी की नज़र से बच सका।

वो धूप भी अच्छी थी,
जो बरसात के बाद निकली,
ताकि इंतज़ार करती प्रेमिकाएँ,
अपने प्रेमियों से मिल सके।

अमृत 'शिवोहम्' - जयपुर (राजस्थान)

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