करवा चौथ - कविता - आर॰ सी॰ यादव

अमिट अखंड सुहाग रहे,
कर चूड़ा-सिंदूर साथ रहे।
आभा मुखमंडल-विपुल ख़ुशी,
नवयौवन सा सिंगार रहे॥

माथे बिंदिया चमके हरदम,
पाँवों में पायल की छन-छन।
अधरों पर हो उन्मुक्त हँसी, 
हाथों में चूड़ी की खनखन॥

सुघर नयन चंचल चितवन,
उर में बसी तेरी छवि हो।
ख़ुशियों से भरा रहे जीवन,
जब तक रश्मि रवि की हो॥

अमर प्रेम का गीत रचे,
ख़ुशियों का दीप प्रज्ज्वलित हो।
मेरा तन-मन, मेरा जीवन,
हे प्रियतम! तुम्हें समर्पित हो॥

आर॰ सी॰ यादव - जौनपुर (उत्तर प्रदेश)

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