करवा चौथ - कविता - रमाकांत सोनी 'सुदर्शन'

तेरे प्यार में पागल फिरता, सारी दुनिया घूमता,
नाम तेरा ले लेकर मैं, हर डाली पत्ता चूमता।

प्यार तेरा पाकर खिलता, चमन मेरे घर बार का,
दिल से दिल के तार जुड़े, नाम जपूँ दिलदार का। 

तेरे सारे नाज़-ओ-नख़रे, हर अदा मनभावन लगती,
चार चाँद चमक उठते, शृंगार कर जब तू सजती।

तुम ही हो सुंदर संसार, खिलता गुलशन गुलज़ार,
मेरा जीवन दिया सँवार, आँखों से बरसता प्यार।

वो मधुर बोल प्यारे प्यारे, झरने बहते प्यार के,
दिल हो जाता हर्षित, तेरी पायल की झंकार से।

आओ प्रियतम प्यारी, आ गया चाँद करवा चौथ का,
लेकर प्रेम विश्वास आया नव जीवन के सुंदर बोध का।

बजने लगे तार दिलों के, मन में उमंगों की झंकार,
मिलो प्राण प्रिये हमारी, कहता मधुर गौरी भरतार।

रमाकान्त सोनी 'सुदर्शन' - झुंझुनू (राजस्थान)

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