प्यारी हिंदी - कविता - सुबोध कुमार ठाकुर

हमारी हिन्दी प्यारी है,
सभी भाषा से न्यारी है।
हम भारतीयों को ये,
प्राणों से भी प्यारी है॥

ये करना मेल सिखलाती,
दिलों को जोड़ देती है।
बहे धारा कभी उल्टी,
ये उसको मोड़ देती है॥

हमें अभिमान है इसपे
इसी से मेरी यारी है,
हमारी हिंदी प्यारी है।

पिता का प्यार है हिंदी,
माँ की ये दुलारी है।
दिलों पर राज करती ये,
गुलों की कोमल डारी है॥

टिकी इसपे है ये धरती,
टिकी दुनिया ये सारी है,
हमारी हिंदी प्यारी।

सुबोध कुमार ठाकुर - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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