अपना सुधार सर्वोत्तम सेवा - कविता - उमेश यादव

अपना सुधार सर्वोत्तम सेवा, सुखमय घर संसार है।  
स्वयं बदलना मानवता पर, बहुत बड़ा उपकार है॥

समझें मन के भावों को हम, सही मार्ग अपनालें। 
अपनी सेवा और सुधार से, सुख सौभाग्य जगालें॥
सबसे बड़ी वीरता तो निज दोषों का प्रतिकार है।
स्वयं बदलना मानवता पर, बहुत बड़ा उपकार है॥
 
अंतस में सौन्दर्य भरा है, उसपर ध्यान लगालें।
कषाय कल्मषों को धोएँ हम, पावन ह्रदय बनालें॥
निर्मल मन ही परमेश्वर का, सर्वोत्तम आगार है।
स्वयं बदलना मानवता पर, बहुत बड़ा उपकार है॥

औरों के गुण देखें, अपने दोषों का उपचार करें।
कुविचार भगाएँ मन से, उर में प्रखर विचार भरें॥
अपना दर्शन करना ही तो, ईश्वर का मनुहार है।
स्वयं बदलना मानवता पर, बहुत बड़ा उपकार है॥

उमेश यादव - हरिद्वार (उत्तराखंड)

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