वीर सपूत - कविता - डॉ॰ रेखा मंडलोई 'गंगा'

दमनकारी नीतियों और अत्याचारों का फैला था ताण्डव जब चारों ओर,
वीर कुँवर सिंह, मंगल पाण्डे और बिस्मिल जैसे देश भक्तों ने तभी दिखाया अपना जोश।
रंगभेद और जातिवाद की आग लगा जब अंग्रेजों ने फैलाया अपना मायाजाल,
अनाम उत्सर्ग देशभक्त सपूतों ने एकता और अखंडता का पढ़ाया था पाठ।
अपने हसीन स्वपन का कर त्याग क्रांतिवीरों ने ख़ून की होली का खेला खेल,
अंग्रेजों के इरादों को कर नेस्तनाबूद सबने दिखाया अपना मेल।
दुश्मनों के ज़ुल्मों को सहने वाले असंख्य अनाम उत्सर्ग शहीदों का बढ़ाए मान,
स्वतन्त्रता दिवस की ख़ुशियों संग बढ़ती जाए अपने देश की शान।
देश पर अब आए ना कोई आँच आओ आज सब मिलकर करें ऐसा प्रण।
वीर सपूतों के त्याग और बलिदान का रखकर मान करे देश हित सब कुछ क़ुर्बान।
तन, मन, धन को कर समर्पित जगाए युवा पीढ़ी में देश भक्ति का भाव।
विजय पताका फहराकर विश्व में चहुँओर बढ़ाए सद्भाव और प्यार।
स्वतंत्रता दिवस की 76वी वर्षगाँठ पर गाए देशभक्ति गीत और जगाए वसुधैव कुटुंबकम् का भाव।
आज़ादी के अमृत महोत्सव पर घर घर तिरंगा फहरा कर मनाए स्वतंत्रता दिवस और बढ़ाए देश का मान।

डॉ॰ रेखा मंडलोई 'गंगा' - इन्दौर (मध्यप्रदेश)

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