तिरंगा - कविता - गणेश भारद्वाज

शक्ति, सच्चाई, शौर्य से
भारत की है शान तिरंगा,
जाति धर्म का भेद भुलाकर
हर घर की पहचान तिरंगा।

ख़ुश होकर लहराँऊ इसको
मेरे छत की शान तिरंगा,
राष्ट्र को एक सूत पिरो दे
जन-जन का है मान तिरंगा।

नतमस्तक हो शीश झुकाएँ
भारत का सम्मान तिरंगा,
है गौरव गाथा सिमटी इसमें
हर दिल का अरमान तिरंगा।

हम सबका यह आत्म गौरव
शौर्य की पहचान तिरंगा,
मर मिट जाएँ इसकी ख़ातिर
वीरों का जयगान तिरंगा।

भाव कुटिल से जो भी देखे
ले ले उसकी जान तिरंगा,
देख सके न आँख उठाकर
इतना है बलवान तिरंगा।

मिलजुल कर रहना सीखो
हम सबकी है आन तिरंगा,
फूट हमारी से घायल हो
खो न दे सम्मान तिरंगा।

गणेश भारद्वाज - कठुआ (जम्मू व कश्मीर)

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