अब भाव एक मन में, सबके यही भरेंगे।
यह देश है हमारा, सब लोग यह कहेंगे।
यह कामना सभी की, ऊँचा रहे तिरंगा।
नव रूप ले हमेशा, आगे सदा बढ़ेंगे।
जग वन्दना करेगा, अब देश का हमारे।
गौरव बढ़े निरन्तर, आराधना करेंगे।
हर क्षेत्र में हमारा, यह देश ले ऊँचाई।
यह स्वप्न आज हम सब, मिलकर सभी बुनेंगे।
'स्निग्धा' बसे यहाँ पर, बस प्रेम हर दिलों में।
यों अश्रु नेत्र देखो, फिर से नहीं बहेंगे।।
डॉ॰ सरला सिंह 'स्निग्धा' - दिल्ली