अरकान : फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
तक़ती : 2122 1212 22
दर्द बढ़ता सदा जताने से,
है मुनाफ़ा उसे छिपाने से।
क्यों सुनाएँ कथा-व्यथा अपनी,
रंज घटता नहीं सुनाने से।
सबसे अच्छी दवाई ख़ामोशी,
हमने सीखा यही ज़माने से।
होते नाज़ुक बहुत यहाँ रिश्ते,
लाभ हर्गिज़ न आजमाने से।
दूरियाँ डालती रही पर्दा,
लोग बचते हैं मुस्कुराने से।
कुछ न कहना उन्हें सुहाता है,
हानि होती हँसी उड़ाने से।
दुखती रग पे न हाथ रखिएगा,
होंगे विचलित वो नस दबाने से।
नागेंद्र नाथ गुप्ता - मुंबई (महाराष्ट्र)