दर्द बढ़ता सदा जताने से - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता

अरकान : फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
तक़ती : 2122  1212  22

दर्द बढ़ता सदा जताने से,
है मुनाफ़ा उसे छिपाने से।

क्यों सुनाएँ कथा-व्यथा अपनी,
रंज घटता नहीं सुनाने से।

सबसे अच्छी दवाई ख़ामोशी,
हमने सीखा यही ज़माने से।

होते नाज़ुक बहुत यहाँ रिश्ते,
लाभ हर्गिज़ न आजमाने से।

दूरियाँ डालती रही पर्दा,
लोग बचते हैं मुस्कुराने से।

कुछ न कहना उन्हें सुहाता है,
हानि होती हँसी उड़ाने से।

दुखती रग पे न हाथ रखिएगा,
होंगे विचलित वो नस दबाने से।

नागेंद्र नाथ गुप्ता - मुंबई (महाराष्ट्र)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos