नागेंद्र नाथ गुप्ता - मुंबई (महाराष्ट्र)
दर्द बढ़ता सदा जताने से - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
मंगलवार, अगस्त 09, 2022
अरकान : फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
तक़ती : 2122  1212  22
दर्द बढ़ता सदा जताने से,
है मुनाफ़ा उसे छिपाने से।
क्यों सुनाएँ कथा-व्यथा अपनी,
रंज घटता नहीं सुनाने से।
सबसे अच्छी दवाई ख़ामोशी,
हमने सीखा यही ज़माने से।
होते नाज़ुक बहुत यहाँ रिश्ते,
लाभ हर्गिज़ न आजमाने से।
दूरियाँ डालती रही पर्दा,
लोग बचते हैं मुस्कुराने से।
कुछ न कहना उन्हें सुहाता है,
हानि होती हँसी उड़ाने से।
दुखती रग पे न हाथ रखिएगा,
होंगे विचलित वो नस दबाने से।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर

 

 
 
 
   
     
 
 
 
 
 
 
 
 
 
