दीप सबके दिलों में जलाना सखे - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

दीप सबके दिलों में जलाना सखे - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | Diwali Poem / Geet - Deep Sabke Dilon Mein Jalana Sakhe. दीवाली पर कविता
दीप सबके दिलों में जलाना सखे,
प्रीत सबके दिलों में दिलाना सखे,
खोए रिश्ते अपनों के दिलों रोशनी,
आएँ फिर से मुहब्बत जगाना सखे।

अब सबके घरों में अँधेरा मिटे,
फिर चहुँमुखी समुन्नत उजाला दिखे।
राह सत्य विजयी दिखे रोशनी,
भक्ति समर्पण दिखाना  सखे।

रोते-रोते आँसू सुख न जाए सखे,
भूख प्यास आर्त गेह तम जाए सखे,
घर दीप प्रज्ज्वलित ख़ुशी रोशनी,
आतिशबाज़ी ख़ुशियाँ दिलाएँ सखे।

स्वाधीनता के दीपक कभी न बुझे,
बलिदानियों अमर दीप जलते रहे।
मातृभूमि अजय हो विजय रोशनी,
गणतंत्र तिरंगा लहराना सखे।

मधुशाला में हाला नशा को तजें,
शास्त्र विनोद राह पर सदा चलें।
घ संयम सुमति धीर संबलज्ञ रोशनी,
चहुँ अमन चैन दीप जलाना सखे।

नारी जाति समादर हम सदा करें,
फिर हो प्रगति सबेरा वतन वास्ते।
जले दीप भारत विजय रोशनी,
हम भरें उड़ानें नभ क्षितिज सखे।

आओ मिल हम दीप जलाएँ सखे,
समरस प्रीति ज्योति दिखाएँ सखे।
आतंक देशद्रोह मिटाए रोशनी,
अध्यात्म शक्ति दीप जलाएँ सखे।

राष्ट्र धर्म विरोध मिटाना सखे,
रक्षण भारत कर्त्तव्य निभाना सखे,
सत्य अहिंसा अमृत विजय रोशनी,
आत्मसम्मान चोट बचाना ‌सखे।


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