तेरी यादें - कविता - रेखा टिटोरिया

यादों के गलियारे से
जब भी पीछे जाती हूँ
तेरी यादें तंग करती हैं।
यादों के तानो बानो से
कभी उधेड़ूँ कभी बनूँ
इन उलझे सुलझे धागों में
जब कोई छोर ना मिले मुझे
तब
तेरी यादें तंग करती हैं।
यादों के गलियारे से
जब भी तुझ तक जाती हूँ
हर दुख से हर पीड़ा से
अवगत तुझे कराती हूँ
मेरे जीवन का हिस्सा तू
तुझ में कहीं समाती हूँ
तुझ से मिलने की आशा में
मैं यादों में खो जाती हूँ
तब
तेरी यादें तंग करती हैं
यादों के गलियारे से
जब भी पीछे जाती हूँ
तेरी यादें तंग करती हैं।

रेखा टिटोरिया - हरिद्वार (उतराखंड)

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