सजन अब आने वाले हैं - गीत - अभिषेक मिश्रा

पपीहा धीरे-धीरे बोल सजन अब आने वाले हैं!
आने वाले हैं सजन अब आने वाले हैं!!
पपीहा धीरे-धीरे बोल सजन अब आने वाले हैं!
अंतर्मन के पट तू खोल सजन अब आने वाले हैं!!

सूख गया आँखों का काजल नैना कहते फिरते हैं,
सुन रे पपिहा मेरे हृदय में मेरे प्रियतम रहते है!
मेरे इस विरहाग्नी में पीड़ा तू मत घोल, 
सजन अब आने वाले हैं!!

रात काली है मगर यह धीरज रुक-रुक जाता है,
पर उसकी मीठी यादों से मेरा जी भर जाता है!
क्षणभंगुर यह जीवन है तू बातों में रस घोल,
सजन अब आने वाले हैं आने वाले हैं!!

पपिहा धीरे-धीरे बोल सजन अब आने वाले हैं!
अंतर्मन के पट तू खोल सजन अब आने वाले हैं!!

अभिषेक मिश्रा - बहराइच (उत्तर प्रदेश)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos