नंदनी खरे - जुन्नारदेव, जमकुंडा (मध्य प्रदेश)
बढ़ते जाना - कविता - नंदनी खरे
बुधवार, अप्रैल 20, 2022
अपना अगला क़दम बढ़ाना,
हर दुर्गम पर्वत चढ़ जाना।
कदम बढ़ाकर थम न जाना,
तुम राहों से थक न जाना।
कुछ तालियों की थपथपाहट सुनकर,
मन हर्षित कर रुक न जाना।
बस तुम आगे बढ़ते जाना।।
धरती अंबर जल में थल में,
अंत आरंभ आज में कल में,
इस दुनिया में तुम छा जाना।
कामयाब जो तुम हो जाओ,
तब अपने आप में गुम न जाना।
बस तुम आगे बढ़ते जाना।।
हर ऊँचाई छूते जाना,
राहों में जब काँटे आए,
तुम राहों से रूठ न जाना।
सितारों के नाम जो आए,
तब तुम कहीं छूट न जाना।
बस तुम आगे बढ़ते जाना।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर