हवाओं का मिज़ाज भी हो गया है आशिक़ाना,
दिल गुनगुना रहा प्यार के मौसम में तराना।
प्यार का मौसम है अतुल हो जाए अंदाज़ शायराना,
ओढ़कर मोहब्बत के रंग हर पल हसीन बनाना।
देखने वाले को भी लगे सुहानी खुल के यूँ मुस्कुराना,
बहती हवा में चाहत की ख़ुशबू का कन्नौज सा महक जाना।
पलके झुका लेना और नज़रे पढ़ा देना,
मौका मिले तो जानम सब कुछ बता देना।
आँखों की मस्ती का मंज़र है दिल बाग़ होना,
हाथों में मेरे तेरा हाथ होना सारी जन्नतें मेरे साथ होना।
अंतर्मन में मिश्री सा मोहब्बत को घोलना,
कानों में चुपके से ईलू-ईलू बोलना।
अतुल पाठक 'धैर्य' - जनपद हाथरस (उत्तर प्रदेश)