कविता की हुँकार - कविता - रमाकांत सोनी

कलमकार कलम के पुजारी लोग कवि कहते हैं,
सुधारस बहाते कविता का छाए दिलों में रहते हैं।

लेखनी ले कवि हाथों में ओज भरती हुँकार लिखें,
माँ भारती का वंदन भारतमाता की जयकार लिखें।

वंदे मातरम् वंदे मातरम् गीत लिखते हम वीरों के,
शीश चढ़ाए मातृभूमि को अमर सपूत रणधीरों के।

आज़ादी के दीवानों की जोशीली यशगाथा गाते हैं,
निकले वीर कफ़न बाँधे माटी का तिलक लगाते हैं।

देश भक्ति जोश जज़्बा वे राष्ट्र धारा में बहते हैं,
सरहद पर अटल सेनानी खड़े सीमा पर रहते हैं।

देशप्रेम भरी लेखनी शौर्य पराक्रम लिखती हैं,
ज्ञान की गंगा सुहानी भारती की झाँकी दिखती है।

स्वाभिमान वीरों की धरती रणधीरों का वंदन है,
कलम कहे धरती का कण-कण पावन चंदन है।

तिलक करें माटी का मातृभूमि जयकार लिखें,
बैरी दल को धूल चटा दे ऐसी हम हुँकार लिखें।

राम कृष्ण राणा की भूमि तलवारों का जोश यहाँ, 
केसरिया बाना दमकता भारतमाता जयघोष यहाँ।

रमाकान्त सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

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