कौन हो भाई? - कविता - आर॰ एस॰ आघात

कौन हो भाई?
मैं वही हूँ
जो दिन रात रहता हूँ
भूख में तड़पता हुआ
फिर भी करता हूँ
सफ़ाई आपके आस-पास
रखने को स्वच्छ साफ़
आपका घर मकान और ऑफ़िस
नालियाँ, गाँव, क़स्बा और शहर।

कौन हो भाई?
मैं वही हूँ
जो करता हूँ मेहनत
दिन-रात, सुबह-शाम
फिर भी रहता हूँ वंचित
मज़दूरी की पगार से
अपने न्याय, अधिकार से
और अंततः समाज में
मिलने वाले सम्मान से।

कौन हो भाई?
मैं वही हूँ
जो फिरता हूँ मारा-मारा
दिन रात सुबह शाम
चंद काग़ज़ के टुकड़ों की ख़ातिर
या मैली बदबूदार थैलियों के लिए
कुछ लोहे के टुकड़ों की ख़ातिर
बीनता गली-गली
कुकर से भिड़ते हुए तो कभी वाराह संग।

कौन हो भाई?
मैं वही हूँ
जो मिलता है आपको
कभी चाय की दुकान पर
तो कभी चौधरी ढाबे पर
कभी छोटू के नाम से
तो कभी कालू या रामू के नाम से
रहता हूँ हमेशा मुस्कान के साथ
आपके बीच क़दम दर क़दम।

कौन हो भाई?
मैं वही हूँ
जो कि पीड़ित हूँ
आपके अत्याचार से
वंचित हूँ अपने शिक्षा, स्वास्थ्य से
पिछड़ा हूँ सामाजिक स्तर पर
हक़ अधिकार मिला नहीं
सिर्फ़ आपकी वजह से
फ़िर भी देश को मज़बूती प्रदान कर रहा हूँ।

आर॰ एस॰ आघात - अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos