महेंद्र सिंह कटारिया 'विजेता' - गुहाला, सीकर (राजस्थान)
मकर संक्रांति - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया 'विजेता'
शुक्रवार, जनवरी 14, 2022
आया मकर संक्रांति का त्योहार,
लाया सुख-समृद्धियों का उपहार।
जीवन पतंग उच्च शिखर में उड़ती जाए,
अपनों के प्रति डोर विश्वास की बढ़ती जाए।
छू ले ज़िंदगी की सारी कामयाबी,
पर हितार्थ करें निज काम नायाबी।
भरने जन-जन में मौज मल्हार,
आया मकर संक्रांति का त्योहार।
बनें घरों में पोष्य और स्वादु पकवान,
हमें बनाते प्रखर और मेघा बलवान।
फैले मूँगफली की ख़ुशबू और गुड़ की मिठास,
झलके दिलों में ख़ुशी और अपनों का प्यार।
बनाने निर्धन जनजीवन का पतवार,
आया मकर संक्रांति का त्योहार।
आओं करें असहायों के हित की बात,
बाँटें उमंगों की यथायोग्य ख़ैरात।
रख विश्वबंधुत्व का भाव,
करें मूक प्राणियों का बचाव।
फैलाने भयमुक्त परिवेश और ख़ुशियों की भरमार,
आया मकर संक्रांति का त्योहार।
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