नव वर्ष मुबारक हो - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'

नव वर्ष मुबारक हो तुम्हे, तेरे पुरे सब आस हो।
तुम उम्मीद हो मेरी, मेरे जीवन का विश्वास हो।

कल की तरह फिर यह आज भी चला जाएगा,
तेरा मेरा प्यारा रिश्ता, बस क़िस्सा हो जाएगा।
कहेंगे हर लम्हें मुझसे, तुम सदा मेरे साथ हो।
नव वर्ष मुबारक हो...

किसी भी विपदा में तुम प्यार सा विश्वास रखना,
हरा सके जो मनुज को कोई ऐसा हुआ दुख ना।
उठ चल की राहें पुकारती बैठे क्यूँ उदास हो।
नव वर्ष मुबारक हो...

जब जब धरा पर कभी, जीवन कोई भी बीता होगा,
खोकर निज हताशा को, मनुज फिर से जीता होगा।
आओ एक बार फिर से, बातें दिल की आज कहो।
नव वर्ष मुबारक हो...

बहुत आएँगे पास तेरे उगते सूरज सा काम लेने,
जब मन भर जाएगा वह छोड़ जाएँगे बस अकेले।
ज़मीं पकड़ के रखना, आसमाँ में जब परवाज़ हो।
नव वर्ष मुबारक हो...

वक्त ही है जो देता है या फिर माँगता है सहारा,
हर घड़ी, हर दिन एक सा नहीं होता है यारा।
हमेशा साथ निभाऊँगा मैं, ज़रूरत जब कोई ख़ास हो।
नव वर्ष मुबारक हो...

जयप्रकाश 'जय बाबू' - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

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