गुरु - कविता - आराधना प्रियदर्शनी

अनमोल अनुभव जुड़ जाते हैं,
गहन अध्ययन एवं संप्रीति से। 
फिर वही विद्वता साक्षात्कार कराती है हमें,
हमारे उज्जवल भविष्य व उन्नति से।। 

सफलता की राह सरल नहीं होती,
उसके लिए कर्म तो करना होगा।
सुखद लक्ष्य की प्राप्ति हेतु,
कठिन श्रम तो करना होगा।।

कैसे प्रेम व सम्मान है जीवन संबल,
वास्तविकता का पाठ पढ़ाते हैं।
करके हमारा मार्गदर्शन हमें,
ग़लत सही से अवगत कराते हैं।।

संस्कारों की परीपूर्ति के लिए,
आत्मा ने लिया नया जन्म है।
शीश झुका कर करो सब वंदन,
गुरु ही महेश्वर गुरु ही परब्रह्म है।।

जो अमल करते गुरुजन के आदेशों का,
वही यथार्थ पथ प्रदर्शक है।
जिनके अनुसरण से जीवन यात्रा सुगम हो जाए,
वह प्रथम अन्वेषक शिक्षक है।।

आराधना प्रियदर्शनी - हज़ारीबाग (झारखंड)

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