पिया मिलल मोहे रंगदार सखी, बड़ा मज़ेदार सखी ना।
बाटे गबरू जवान,
करे हमरा सम्मान।
बोली भाषा हउऊय लहरेदार सखी, बड़ा मजेदार सखी ना।
मोहे भरके अँकवार,
करे दिन-रात प्यार।
ओकरे बँहिया में भईली गुलनार सखी, बड़ा मज़ेदार सखी ना।
बात-बात पे हँसावे,
हमके गोदी में सुलावे।
जागे-जागे होला भिनसार सखी, बड़ा मज़ेदार सखी ना।
ख़ूब करेला किसानी,
कजरी बिरहा क शानी।
हमहूँ रहिला ख़ूब रतनार सखी, बड़ा मज़ेदार सखी ना।
संजय राजभर 'समित' - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)