पिया प्रशंसा - लोकगीत (मिर्ज़ापुरी कजरी) - संजय राजभर 'समित'

पिया मिलल मोहे रंगदार सखी, बड़ा मज़ेदार सखी ना।

बाटे गबरू जवान,
करे हमरा सम्मान। 

बोली भाषा हउऊय लहरेदार सखी, बड़ा मजेदार सखी ना।

मोहे भरके अँकवार,
करे दिन-रात प्यार। 

ओकरे बँहिया में भईली गुलनार सखी, बड़ा मज़ेदार सखी ना।

बात-बात पे हँसावे,
हमके गोदी में सुलावे। 

जागे-जागे होला भिनसार सखी, बड़ा मज़ेदार सखी ना।

ख़ूब करेला किसानी,
कजरी बिरहा क शानी। 

हमहूँ रहिला ख़ूब रतनार सखी, बड़ा मज़ेदार सखी ना।

संजय राजभर 'समित' - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

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